2017 ഒക്ടോബർ 19, വ്യാഴാഴ്ച
न ,मुझे धरती पर न जाना, सुना है
न रहने योग्य धरती अब लड़कियों को
न अंदाज़ा कर सकती मानव की करनियों को
न भरोसा कर सकती रिस्तों को
हे विधाता, मुझे धरती पर न जाना ,सुना है
धरती में अब चल रहा है बलात्कार पर्व
शिसु से लेकर बूढिया तक
नराधमों के काम वासना के शिकार
पिता के,भाई के,चाचा के.......
और अनजाने चेहरेवालों के
काम लालसा के शिकार होकर
मरते हुए जीना
चर्चा पे चर्चा करके
मीड़ियावालों द्वारा बारंबार .
अपहासित होकर जीने से बेहतर
माँ के कोख से ही दम धुटाकर मार ले मुझे
जिस देश में स्त्री की होती थी पूजा अब
नैमिषिक तृष्णा के साधन मात्र
साभिमान सर उठाके जी न सकती तो
न भेजना मुझे धरती में ।
न मैं चाहती और एक शिकार बनना ,
न भेजना मुझे बेनामों में एक बनने को।
न रहने योग्य धरती अब लड़कियों को
न अंदाज़ा कर सकती मानव की करनियों को
न भरोसा कर सकती रिस्तों को
हे विधाता, मुझे धरती पर न जाना ,सुना है
धरती में अब चल रहा है बलात्कार पर्व
शिसु से लेकर बूढिया तक
नराधमों के काम वासना के शिकार
पिता के,भाई के,चाचा के.......
और अनजाने चेहरेवालों के
काम लालसा के शिकार होकर
मरते हुए जीना
चर्चा पे चर्चा करके
मीड़ियावालों द्वारा बारंबार .
अपहासित होकर जीने से बेहतर
माँ के कोख से ही दम धुटाकर मार ले मुझे
जिस देश में स्त्री की होती थी पूजा अब
नैमिषिक तृष्णा के साधन मात्र
साभिमान सर उठाके जी न सकती तो
न भेजना मुझे धरती में ।
न मैं चाहती और एक शिकार बनना ,
न भेजना मुझे बेनामों में एक बनने को।
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