2019, ഓഗസ്റ്റ് 15, വ്യാഴാഴ്‌ച




छोटू की डायरी




तारीख


आज मैं बहुत खुश हूँ।

आज मेरा सपना साकार हो गया। 
 
कुँवर रणविजय कितना अच्छा दोस्त है।

उसके साथ आज स्कूल गया।


स्कूल यूनीफॉ़र्म पर टाई बाँधकर हम दोनों साथ-साथ चले।


स्कूल में नये दोस्तों से मिले।

लेकिन रणविजय से बढ़कर कोई अच्छे नहीं लगे। 

 
स्कूल की बात माँ से कही।

माँ भी खुश हुई। 

 
माँ ने कहा 'कित

ना कष्ट सहना पडा़।
 
याद आया, चाय की

 दूकान में काम करते

 समय लफ्ट़न से रूठता था।
 
चोरी के इल्ज़ाम पर गाँव छोडकर दिल्ली पहुँचा था ।
 
सब सपने जैसे लग रहे हैं आज
 
अब पढ़-लिख कर कलाम जैसा बड़ा आदमी बनूँगा।



चरित्रगत टिप्पणी

रणविजय



नील माधव पाँडा की आई.आम. कलाम फिल्म के नायक छोटू उर्फ कलाम के 

साथी था रणविजय ।वह ढाणा के राणा के बेटा था । अमीर होने का कोई भी 

भाव उसमें नहीं था ।परीक्षा का डर से उसको स्कूल जाना पसंद नहीं था ।

पेड पर चढना सीखना,और धुडसवारी सीखने का लेन-देन को लेकर छोटू के

 साथ उनकी दोस्ती हो जाती है। वह हिंदी में थोडा पीछे हैॆं ।कलाम की 

सहायता से वह स्कूल के हिंदी भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार का ट्राँफी

जीत लेता है । कलाम की किताबों को जला दिया जाने वह उसे अपनी किताबें

 लेता है । वह कलाम को अंग्रेजी सीखने में मदद भी कर सकता है ।

इस प्रकार हम इसमें अच्छी मित्रता देख पाते है ।


  मोरपाल की डायरी

तारीख



आज मेरेलिए एक विशेष दिन था ।

पहली बार मैंने राजमा खाया ।

कितना स्वादिष्ट था । मेरे दोस्त की टिफिन बाँक्स में रखे राजमा देखते ही

मेरी बाँछेें खिल गयी थी । उसको खाने से पहले पहले मैंने राजमा देखा भी नहीं 

था । राजमा जैसी चीज़ मेरेलिए तो अपूर्व ही था , पर उसकेलिए वह एक

साधारण चीज़ थी।मैं और मेरे दोस्त के बीच खेल-घंटी में खाने की अदला-

 बदली करने का निश्चय किया । उसके घर से लाया राजमा चावल मैंने खाया

और मेरे घर से लाया छाछ -चावल उसने भी । जैसे मैंने राजमा खाया वैसे

उसने छाछ को भी बहूत चाव से खा लिया । ऎसा लगा कि छाछ उसकी 

कमजोरी है । आज से हर दिन मैं अपने घर से छाछ लाकर दूँगा ।


राष्ट्रपति के नाम पर छोटू की चिट्ठी
(पत्र)
 
जैसलमेर 
21 आगस्त 2015


आदरणीय राष्ट्रपति साहब ,

नमस्कार .. थोडी लिखी..बहूत समझना । 

चिट्ठी को तार समझकर जल्दी जवाब देना । 

 मैं ढाबे में काम करनेवाला एक लडका हुँ,

जिसकी ज़िन्दगी आपने बदल दी । 
 
मेरा नाम छोटू है , लेकिन मैं अपने को

कलाम मानता हुँ । मुझे छोटू अच्छा नहीं लगता । टी.वी.में आपका भाषण सुना । कितना अच्छा था । मैं समझता हुँ कि हर बच्चा राष्ट्रपति कलाम बन सकता है । मैं भी आप जैसे बनना चाहता हुँ । लेकिन मैं बडा गरीब हुँ ।
मुझे स्कूल जाने की इच्छा है , मेरे मित्र रणविजय के साथ ....


लूसी मैडम ने वादा किया था ,आपसे मिलवाने का ।मुझे आपसे

बहूत सी बातें करनी हैं । मालूम हैआपको बच्चे बहूत पसंद हैं । पढ-लिखकर 

मुझे आपका जैसा होना है । इसलिए कृपया आप मेरी मदद कीजिए ।

बस इतना भी कहना है और हाँ ..धन्यवाद भी बोलना है ।


                                                          आपका आज्ञाकारी छात्र
                                                             कलाम (हस्ताक्षर )
                                

सेवा में

अब्दुल कलाम

राष्रपति
 
राष्रपति भवन

नई दिल्ली