2011, ജൂലൈ 15, വെള്ളിയാഴ്‌ച

नदी और साबुन



समकालीन हिंदी कविता वर्तमान सामाजिक संदर्भो और समस्याओं के प्रति सतर्क है। प्रतिबद्धता की ऎसी कविताओं की रचना के प्रमुख हस्ताक्षर है।
नदी और साबुन - प्रकृति के प्रदूषण को उजागर करती है।
ऎसा एक ज़माना था कि हमें नदियों से पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी मिलता।
लेकिन आज मानव के अनियंत्रित हस्तक्षेप से पानी की स्वच्छता एवं सुलभता में अवश्य संकट आ गया है।इस विषय के आधार पर लिखित
ज्ञानेद्रपति की लिखित कविता है- नदी और साबुन।

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