2016, ജൂൺ 11, ശനിയാഴ്‌ച




पटकथा

पहला शाँट

( बारिश की हवा से गीला खेत । सबेरे साढ़े आठ बजे। दो मित्र -एक

 लड़का और एक लड़की-आते हैं। साहिल और बेला । दोनों स्कूल की

 ओर जा रहे हैं।उनके बस्ते उनकी पीठ पर लदे होते हैं,कंधों पर टंगे

 होते हैं।वे एक-दूसरों के बहूत नड़दीक रहकर बीरबहूटियाँ खोजते

 हैं।)       

कैमरा साहिल और बेला के क्लोस -अप से पीछे आती है। फिर बारिश की हवा से

 गीले खेत का सुदूर दृश्य । गीली मिट्टी में खून की बूँद जैसी बीरबहूटियाँ । 

 (मध्यम दृश्य )   

साहिल - देखो बेला , इस बीरबहूटी का रंग तुम्हारे रिबन के जैसा लाल है।

(बेला उसकी बात पर ध्यान न देती है। वह बीरबहूटी को खोज रही है।)

साहिल - तुमने कुछ सुना बेला ?

बेला - हाँ , सुना । पहली घंटी लग गई है।

साहिल - मुझे दूकान से पैन में स्याही भरवानी है।


- कट -







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