2018, ജൂൺ 29, വെള്ളിയാഴ്‌ച


 

 
गणित के माटसाब सुरेंदर जी ने बेला के बालों में पंजा फँसाया। उस दिन घर आकर वह अपनी डायरी में क्या लिखती होगी? वह डायरी तैयार करें।
फुलेरा
तारीख
           आज का दिन मैं कैसे भूलूँ? इतना बुरा दिन ज़िन्दगी में पहली बार आया है। गणित का पीरियड था। क्लास में आते ही माटसाब काँपी जाँचने लगे। काँपी जाँचते वक्त मास्टरजी की नज़र मुझपर पडी। मैं ने तो काँपी लिखी थी। फिर भी मैं भय से काँप रही थी। बिना कुछ कहे मास्टर जी मेरे बाल पकडकर फेंका। सब बच्चों की नज़र मुझपर पडी। मेरे भयभीत चेहरे को देखकर साहिल बुरी तरह डर गया था। मुझे ऐसा लगा कि मैं अभी गिर जाऊँगी। कुछ समय के बाद मास्टर जी ने काँपी मेरे बैठने की जगह पर फेंकी और मुझसे बैठने को कहा। मुझे अब भी पता नहीं कि मेरी गलती क्या थी। ऐसा अनुभव जीवन में कभी नहीं हुआ है। यादें मन से दूर होती नहीं। एक दुर्दिन की समाप्ति

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