2011, നവംബർ 6, ഞായറാഴ്‌ച

शहरीकरण प्रगतिशील समाज का अभिन्न अंग बन गया है। इकाई ३ नज़रें नज़ारे

समस्या - शहरी जीवन का तनाव पारिवारिक जीवन का कारण बन जाता है।
अध्ययन लक्ष्य- जीवन को संघर्षमुक्त करने केलिए औरों से हार्दिक
रखने की आवस्यकता से अवगत कराना।

शहरीकरण से सामूहिकता की भावना नष्ट हो रही है।
इस इकाई में आत्मकेन्द्रित मानव की मानसिकता
व्यक्त करनेवाली कविता- वह तो अच्छा हुआ , यशपाल की कहानी
आदमी का बच्चा, एवं नदीरा ज़हीर बब्बर का एकपात्रीय नाटक -सकुबाई
अतिरिक्त वाचन - समा बँध गया यात्राविवरण आदि हैं।

അഭിപ്രായങ്ങളൊന്നുമില്ല:

ഒരു അഭിപ്രായം പോസ്റ്റ് ചെയ്യൂ