2013, ജൂലൈ 13, ശനിയാഴ്‌ച


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कुछ महीनों तक बीमारी से पीड़ित रहकर अंत में एकदिन ब्रह्म मुहूर्त में गौरा की मृत्यु हुई। यह, पशु-पक्षियों को बहुत चाहनेवाली लेखिका महादेवी जी को बहुत दुखदाई रही। गौरा की मृत्यु के दिन की महादेवी जी की डायरी तैयार करें।

महादेवी जी की डायरी


आज भी मैं गौरा के पास बार-बार जाती रही। ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे गौरा की मृत्यु हुई। उसके पास पहुँचते ही उसने अपना मुख सदा के समान मेरे कंधों पर रखा, और वह एकदम पत्थर जैसा भारी होकर मेरी बाँह पर से सरककर धरती पर आ गिरा। उसकी मृत्यु भी मेरी आँखों के सामने हुई। मैंने कितने पशु-पक्षियों को पाला है। लेकिन सबसे बड़ी यही थी। वह भी मनुष्य के निर्मम व्यवहार की शिकार बनकर! हे भगवान! यह व्यथा मेरे मन से कैसे दूर हो जाएगी। मैंने गौरा के पार्थिव अवशेष को भी गंगा माँ को समर्पित किया। आज का दिन शोकमय रहा।

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