छोटू
की डायरी
तारीख
आज
मैं बहुत खुश हूँ।
आज
मेरा सपना साकार हो गया।
कुँवर
रणविजय कितना अच्छा दोस्त
है।
उसके
साथ आज स्कूल गया।
स्कूल
यूनीफॉ़र्म पर टाई बाँधकर हम
दोनों साथ-साथ
चले।
स्कूल
में नये दोस्तों से मिले।
लेकिन
रणविजय से बढ़कर कोई अच्छे
नहीं लगे।
स्कूल
की बात माँ से कही।
माँ
ने कहा 'कित
ना
कष्ट सहना पडा़।'
याद
आया,
चाय
की
दूकान में काम करते
समय
लफ्ट़न से रूठता था।
चोरी
के इल्ज़ाम पर गाँव छोडकर
दिल्ली पहुँचा था ।
सब
सपने जैसे लग रहे हैं आज!
अब
पढ़-लिख
कर कलाम जैसा बड़ा आदमी बनूँगा।
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