काँपती डाल
वसन्त का समय
पीले पत्ते पर पड़ी लाल लकीर
पानी पर धूप का जाल
प्रतीक्षा में आकुल चिड़िया
अमलतास की डाल पर
दिन डूबा रात हुई
सितारे उभरे
आँसुओं की तरह
आकाश में कटोरे -सा चन्द्रमा
खालीपन
कितना भरा हुआ
किनारे पर खड़ी बगुली की परछाई से
बिध जाता है
मछली का शरीर
हवा के झोंके से
अचानक उड़ गए
वृक्षों पर खिले सारस फूल ।
അഭിപ്രായങ്ങളൊന്നുമില്ല:
ഒരു അഭിപ്രായം പോസ്റ്റ് ചെയ്യൂ