2011, ജൂലൈ 15, വെള്ളിയാഴ്‌ച

धरती ने हमें सब कुछ दिया । स्वच्छ पानी , स्वच्छ हवा ,स्वच्छ वातावरण आदि सबकुछ...। लेकिन आज मानव ने सारी स्वच्छता नष्ट कर दी है।हमारे जलस्रोत आज शुष्क हो गए है, मैले हो गए है..कई तरह के शोषणों के शिकार हो गए है..। मनुष्य का स्वार्थ ,असावधानी एवं अवैज्ञानिक प्रगति-चेतना ने उसे प्रकृति की मासूमियत से हटा दिया है।हमारे पूर्वज दोहन पर नहीं पोषण पर बल देते थे।

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