2012, ജൂലൈ 24, ചൊവ്വാഴ്ച


लंबी कहानी  से छोटी कहानी की ओर

मेमना
हिंदी के प्रमुख कहानीकार श्री लोकबाबु द्वारा लिखित एक कहानी है-मेमना। इस कहानी का नायक एक किसान है। मुसरा उसका अपना गाँव था । वहाँ उन्हें पाँच एकड़ ज़मीन थी। एक दिन वह खेती
केलिए अच्छे चीज़ो की तलाश में अपने मंझला भाई के पास गया। लेकिन बीज नहीं मिले उलटे भाई
ने एक मेमना उठाकर उसे पालने पोसने केलिए सौंप दिया ।
किसान मेमने को साथ लेकर गाँव जाने केलिए रेलवे स्टेशन की ओर चला । रास्ते में उसके गाँव मुसरा के एक किसान से मिला । उसने अपनेलिए टिकट और गाड़ी में यदि मिल सके तो जगह रखने केलिए
किसान से कहा था । इसलिए उन्होने दो टिकट लिये थे ।
रेलगाड़ी में बड़ी भीड़ थी। द्वितीय श्रेणी के गंदे और बदबुदार डिब्बे में किसान को थोड़ी सी जगह मिली।
उस डिब्बे में उजले कपड़े पहने अफसरनुमा स्वभाव वाले कुछ नौजवान लड़के बिना टिकट बैठे हुए थे।
उन्होने अपनी उपस्थिति ,हावभाव और बोलचाल से पूरे डिब्बे में आतंक -सा मचा रहा था।
रेलगाड़ी में भीड़ अधिक होने लगी। भीड़ से घबराकर मिमियाते मेमने की फिक्र और डिब्बे के मध्य ,
जहाँ वे लड़के बैठे थे , खड़े होने की जगह देखकर किसान वहाँ चला आया । किसान का वहाँ आना लड़को
को पसंद न आया । लड़को ने घृणा का भाव प्रकट करते हुए किसान को तंग करने लगा। लेकिन
किसान खेतो में बोने केलिए बीज-धान की सोच में पड़ गया ।
तभी ऊपर की सीट पर बैठा एक लड़का खायी हुई फल्ली के छिलके नीचे बैठे दूसरे यात्रियो पर जान बूझकर गिराता हुआ उतरा और उसके बदले दूसरा लड़का ऊपर की सीट पर चढ़गया ।उसके जूते की धूल
नीचे बैठे यात्रियो के सिर पर गिरी, मगर वे चुप रह गए ।उन्होने सोचा कि इन बदमाशो से लड़ना अपनी
पोसिष़न खराब करनी हे।गाड़ी चलती रही। उन लड़को में से एक ने जेब से कीमती सिगरेट का पैकट निकाला और सभी लड़को को बाँट देने के बाद माचिस के लिए हाथ डाला । उसकी माचिस की डिबिया
में दो तीलियाँ था,जो उसकी असावधानी से बिना सिगरेट सुलगे नष्ट हो गई।उन्होने डिब्बे के दोनो छोर की ओर देखकर पूछा- "अरे किसी के पास माचिस है क्या ?” कहीं से जवाब नहीं आया । कुछ यात्रियो के पास
माचिस थी , मगर देने की इच्छा किसी की नही थी। तुम्हारे पास है लड़के ने किसान से पूछा तो उन्होने
जेब से माचिस की डिबिया पकड़कर अपनी जेब में रख ली।सारे लड़के एक दूसरे की ओर देखकर ठहाका
मारकर हंस पड़े। सब मिलकर किसान की मजाक उठाने लगे। किसान ने विवश होकर सबको जवाब दिया।डिब्बे में शेष सभी यात्रीयो का ध्यान किसान की ओर था।
गाड़ी चलती रही। किसान का अपना स्टेशन मुसरा आनेवाला था। वह दरवाज़े की ओर सरक रहा था। तब एक विचित्र घटना घट गई। ऊपर की सीट में बैठे एक लड़के ने अपनी जली हुई सिगरेट किसान के हाथ में लटकते हुए मेमने के सिर में दबाकर बुझा दी।मेमना चिहुक कर मिमियाने लगा। दूसरे लड़के ने किसान की पगड़ी में ही सिगरेट दबा दी। किसान ने मेमने को नीचे रखा और ऊपर की सीट में बैठे लड़के की कालर पकड़कर ज़मीन पर खींच लिया । वह नीचे की सीट में बैठे लड़को के पावो पर गिरा और तीनो
कराहने लगे। किसान ने ऊपर बैठे मोटे लड़के के गाल पर झपट मारा तो दो लड़के के गाल पर झपट
मारा तो दो लड़के के गाल पर झपट किसान पर झपटे, मगर किसान अपने हाथो से रोक लिया।सब लड़के घबराए-से अपनी सीट पर सिमट गए।इस घटना के कारण उस डिब्बे के यात्रियो के मन में उस किसान के प्रति सम्मान और अपनापे की भावना भर आई और डिब्बे में आतंक और उत्पात का वातावरण समाप्त हो गया।मुसरा रेलवे स्टेशन आ गया।किसान बड़ी सरलता से नीचे उतर आया ।मेमने को कंधे पर उठाए वह घर की ओर चला।

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