अऱुण
गांघी की डायरी
गूरुवार
20-5-1956
आज का दिन........
पिताजी से झूठ क्यों
बोला …...
मेरे झूठ पर पिताजी ने
प्रायश्चित किया ..
जाँऩ बेन की फिल्म
देखते- देखते समय का बिलकुल ध्यान नहीं
रहा..........
पिताजी से यह बताते हुए
बहूत शऱ्म आई कि एक पश्चिमी फिल्म देख ऱहा था
इसलिए झूठ बोला …...
कोई अनुमान था कि वे
अपने आपको सजा दें...
वे शहर से धऱ तक की
अठारह मैल की दूरी पैदल चलें...
मेरा मन फूट गया...
उस वक्त जीवन का अहम
निर्णय़ लिया -कभी झूठ ऩहीं बोलूँगा.....
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