मैं
सकु... सकुबाई
पैंतालीस साल की मराठी औरत
हुँ। मेहनती होने की वजह से
चौड़ी और मज़बूत हुँ ।
यहाँ
मुंबई में सात साल की उम्र में
आयी थी। बचपन में गाँव में
रहनेवाली थी । मेरी माँ ,
बहन
वासंती और एक भाईनितिन
। मेरा नाम शकुन्तला रखी थी।
मां ने
मैं
सकु...सकुबाई
पैंतालीस साल की मराठी औरत
हुँ। मेहनती होने की वजह से
चौड़ी और मज़बूत हुँ ।
यहाँ
मुंबई में सात साल की उम्र में
आयी थी। बचपन में गाँव में
रहनेवाली थी । मेरी माँ ,
बहन
वासंती और एक भाई नितिन
। मेरा नाम शकुन्तला रखी थी।
मां ने मुझे पाठशाला जाना नहीं
दिया । बचपन में हड्डी तोड़कर
काम करने पर भी खाना पूरा नहीं
मिलता था । काका लोग मेरे पिताजी
को तंग करते थे। मामा मुझे और
मेरी माँ और भाई को लेकर मुंबई
में आया । मेरे पिताजी और एक
बहन गाँव में रहते हैं। बिदाई
के समय दोनों रो रहे थे ।यहाँ
एक बड़े घर में नौकरानी हुँ
।यहाँ
सबकुछ मैं कर रहा हुँ। मेरे
साहब और मेंसाहब बहूत अच्छे
हैं। साहब का नाम किशोर कपूर
और में साहब का पूजा कपूर।
दो
बच्चेै हैं -
पोमल
और रौकी । दोनों को मैं बहूत
प्यार करती हुँ । मैं यहां एक
नौकरानी नहीं हुँ,
इस
परिवार का एक अंग हुँ।
आज
मैं बहूत खुश हुँ । कभी-कभी
मैं अकेले बैठकर बचपन के बारे
में सोचविचार कर रही हुँ ।
मुझे पाठशाला जाना नहीं
दिया । बचपन में हड्डी तोड़कर
काम करने पर भी खाना पूरा नहीं
मिलता था । काका लोग मेरे पिताजी
को तंग करते थे। मामा मुझे और
मेरी माँ और भाई को लेकर मुंबई
में आया । मेरे पिताजी और एक
बहन गाँव में रहते हैं। बिदाई
के समय दोनों रो रहे थे ।यहाँ
एक बड़े घर में नौकरानी हुँ
। यहाँ
सबकुछ मैं कर रहा हुँ। मेरे
साहब और मेंसाहब बहूत अच्छे
हैं। साहब का नाम किशोर कपूर
और मेंसाहब का पूजा कपूर।
दो
बच्चेै हैं -
पोमल
और रौकी । दोनों को मैं बहूत
प्यार करती हुँ । मैं यहां एक
नौकरानी नहीं हुँ,
इस
परिवार का एक अंग हुँ।
आज
मैं बहूत खुश हुँ । कभी-कभी
मैं अकेले बैठकर बचपन के बारे
में सोचविचार कर रही हुँ ।
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