2012, ജനുവരി 22, ഞായറാഴ്‌ച

वार्तालाप

गामा और फारसी पत्रकार के बीच का संभावित वार्तालाप
फ़ारसी पत्रकार- साहब, विश्व के किसी भी पहलवान से लड़ने के लिए क्या आप तैयार है ?
गामा- ज़रूर॥
पत्रकार- तो आप अपने अमुक शिष्य से ही लड़कर विजय प्राप्त करके दिखाएँ?
गामा- भाई साहब, मैं हिंदुस्तानी हुंँ। एक हिंदुस्तानी ऎसा नहीं कर सकता।
पत्रकार- क्यों ?
गामा- हमारा अपना एक निजी रहन-सहन है।शायद इससे आप परिचित नहीं है।
पत्रकार- जानने के लिए मैं उत्सुक हुँ।ज़रा बताइए।
गामा- हम लोगों को वंश परंपरा ही अधिक प्रिय है।
गामा- गुरु को शिष्य अपने बेटे से भी अधिक प्यारा है।
पत्रकार- यह तो अजीब बात है।
गामा- मुझे लगता है आप हिंदुस्तानी नहीं है?
पत्रकार- आपका कहना ठीक है। मैं फ़ारसी पत्रकार हुँ।
गामा- तो आप हमारी अपनी इस परंपरा को समझने की चेष्ठा करें।
पत्रकार- ज़रूर। शुक्रिया ....

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