पाठ्यक्रम
इकाई | समस्या क्षेत्र/समस्या | आशय | अध्ययन सामग्री
| उपज | भाषातत्व | समय | |||||
बदलते परिवेश | *सांस्कृतिक अस्मिता और उसके विकास की अवधारणा का अभाव । * उपभोक्तावाद मानवीय संबन्धों में दरार डालता है। | *उपभोक्तावाद और विभिन्न वाणिज्जिक उतपादों के विज्ञापन समाज में बुरा असर डालते हैं। *सांस्कृतिक जीवन दर्शन एवं जीवन मूल्यों को बनाए रखना स्वस्थ सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है। * उपभोक्तावाद और अनुकरण की प्रवृत्ति से वशीभूत होकर भारतीय समाज अपने चिरंतन परंपरागत मूल्यों को खो बैठा है। *बदलते जीवन परिवेश में मानवीय संबन्धों में गिरावट आ गई है। *सरल और संक्षिप्त रूप में आशयों को संप्रेषित करने का सशक्त माध्यम है- पोस्टर। *दैनिक जीवन में कई पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग करता है। | | | | आस्वादन टिप्पणी विज्ञपन मंचन वार्तालाप पत्र लेखन कहानी लेखन पोस्टर | विशेषण मुहावरेदार प्रयोग वाच्य | | |||
भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य संबन्ध (लेख) वापसी (कहानी) पोस्टर पारिभाषिक शब्द | मुफ्त में ठगी निचोड़ | अंधेर नगरी (प्रहसन) |
അഭിപ്രായങ്ങളൊന്നുമില്ല:
ഒരു അഭിപ്രായം പോസ്റ്റ് ചെയ്യൂ