2012, ജനുവരി 28, ശനിയാഴ്‌ച


जीवनी
सकुबाई

शकंतला के माँ -बाप गाँव में रहते थे । उसके दो बेटियाँ और एक बेटा था। सबसे बड़ी थी शकुंतला। फिर वासंती और सबसे छोटा
नितिन। पिताजी का सीधा हाथ थोड़ा टेढ़ा था । फिर भी खेतों में
दिन-रात मेहनत करते थे। माँ उसकी सहायता करती थी।शकुंतला
और वासंती दोनों पाठशाला नहीं गई ।नितिन पाठशाला भेजा गया।

शकुंतला को दादी मर गई तो उसकी नानी और मामा बंबई से आए।
वे शकुंतला को माँ को मुंबई ले जाना चाहते थे।उसकी सहायता के लिए
शकुंतला को भी ले जाया गया।अच्छी पढ़ाई मिलने की आशा से नितिन को भी साथ ले गए ।तभी से शकुंतला भी घर-घर काम करने लगी ।
यही शकुंतला बाद में सकु बन गई ।

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