2012, ജനുവരി 24, ചൊവ്വാഴ്ച

पाल के किनारे रखा इतिहास



जल प्रकृति की अनुपम भेंट है। आपका राय क्या है
एक निबन्ध तैयार करें...
सहायक बिंदुएँ-
जल
जीवन का आधार
विविध जलश्रोत
जल की उपयोगिता
जल का दुरुपयोग
जल संरक्षण के मार्ग
जल प्रकृति की अनुपम भेंट है

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समझकर विस्तार करें
भूमिका
विषय वस्तु
उपसंहार हो
उचित शीर्षक











जल प्रकृति का वरदान है।

जो वर्षा के माध्यम से हमें मिलता है। जल मानव जीवन केलिए महत्वपूर्ण
है। कुए , तालाब,नदी, समुद्र, आदि अनेक जल श्रोत है । पर आजकल हर एक गाँव-शहर में पानी की कमी है।
जल जीवन का आधार है।इससे केवल मनुष्यो की प्यास न बुझती है,
बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को भोजन मिलता है।असल में
जल के बिना जीवन असंभव है। जल का उपयोग दिन--दिन बढ़ती
जा रहा है।जीवन के हर क्षेत्रो में पानी की ज़रूरत है। जल अमुल्य है, इसका दुरुपयोग करने से रोकना है।नल वगैरह उपयोग के बाद
बंद करना चाहिए ।
आजकल हमारे जल-श्रोत प्रदूषित है। लोग नदियाँ , तालाबो में
कूड़ा-कचरा फेंक देता है।और वहाँ का पानी प्रदूषित होता है।
वहाँ से बदबू निकलता है। जल श्रोतो को प्रदूषण से बचाना अनिवार्य
है। जल नीं है तो हम नहीं..





PTO




संकेतो की सहायता से निबंध लिखें..
जल- जीवन का आधार
जलस्रोत
जल की कमी
जल का दुरुपयोग
जल प्रदूषण
बचने के मार्ग


जल जीवन का आधार
भारत एक विशाल जनसंख्यावाला देश है,जहाँ विश्व की लगभग 16प्रतिशत जन निवास करते है। लेकिन इस जनसंख्या केलिए केवल4 प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है।पहले पानी का अधिकतर प्रयोग सिंचाई केलिए होता था लेकिन अब पानी का प्रयोग औद्धौगिक और घरेलू क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो गया है।भारत में जनसंख्या और औद्धौगिकरण जिस गति से बढ़ रहा है उससे भविष्य में पानी की कमी की समस्या को नज़रंदाज नहीं किया जा सकता है।
कहा जाता है कि जल ही जीवन है।अगर जल नहीं रहेगा तो सृष्टि का अस्तित्व ही न रहेगा । इस सत्य को बिना देखे हम हमेशा अंधाधुंध पानी का प्रयोग करते है।पृथ्वी पर उपलब्ध कुल पानी का 0.3 प्रतिशत भाग ही पीने योग्य और शुद्ध है। औद्धोगीकरण की इस दौड़ में अधिक पानी उपभोग की होड़ लगी है। आज हम अपने जलस्रोतों को निरंतर प्रदूषित करते जा रहे हैं। सभी शहर अपनी गंदगी को ढोने का माध्यम नदियों या नालों को बना ले रहे हैं। लेकिन क्या कभी इस बारे में सोचा है कि हमारे पास भविष्य केलिए कितना पानी उपलब्ध है। हम अपनी आनेवाली पीढ़ी के लिए क्या छोड़ रहे है ? हमारे देश में भूमिगत जल के के बेहिचक दोहन से वास्तविक जल संकट उत्पन्न हो गया है। पूरे देश में जल संकट उत्पन्न हो गया है। पूरे देश में जल संकट गहराता जा रहा है । एक तरफ हम जल-संरक्षण की बात करते है, दूसरी तरफ़ हम तालाबों और झीलों के संरक्षण के बजाय उन पर कंक्रीट के सौध बनाते जा रहे है तो इस संकट से निपटने की उम्मीद कैसे की जा सकती है ?
अगर हम सब जागरूक हो जाएँ तो जल संकट की समस्या खतम हो सकती है। हम सभी जानते है कि पानी का कोई विकल्प नहीं है।बिना इसके जीवन खतरे में हैं।अत हम प्रकृति प्रदत्त चीजों को बचाने का प्रयास करें।सभी को इसकी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए ।समाज के सभी स्तरों पर समुचित कार्रवाई और सहयोग की ज़रूरत है। समुदाय स्तर पर व्यक्तियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । इसी प्रकार स्थानीय और राष्ट्रीय स्तरों पर सरकारों को अपने हिस्से की जिम्मेदारी वहन करनी चाहिए और कल की सबसे बड़ी चुनौती जल संकट को कम करना चाहिए।

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